Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge | श्रीमद्भगवद्गीता के द्वादश अध्याय पर आधारित श्रेष्ठता /अश्रेष्ठता वृत्ति व्यक्तित्व परीक्षण श्रीमद्भगवद्गीता के द्वादश अध्याय पर आधारित श्रेष्ठता /अश्रेष्ठता वृत्ति व्यक्तित्व परीक्षण | Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
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श्रीमद्भगवद्गीता के द्वादश अध्याय पर आधारित श्रेष्ठता /अश्रेष्ठता वृत्ति व्यक्तित्व परीक्षण

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1. परमश्रद्धा के साथ ईश्वरोपासना करता हूँ। (श्रद्धया परयोपेतास्ते)

2. इन्द्रियों को नियन्त्रण में रखता हूँ। (संनियम्येन्द्रियग्रामं)

3. सर्वत्र समबुद्धि रखता हूँ। (सर्वत्र समबुद्धयः)

4. सब प्राणियों के हित में रत रहता हूँ। (सर्वभूतहिते रताः)

5. देहाभिमान करता हूँ। (देहवद्भिरवाप्यते)

6. समस्त कर्मों का संन्यास करता हूँ। (सर्वाणि कर्माणि मयि संन्यस्य)

7. चित्त को स्थिर नहीं रख पाता हूँ। (चित्तं समाधातुं न शक्नोषि)

8. अभ्यासयोग करता हूँ। (अभ्यासयोगेन)

9. कर्मों के फ़ल का त्याग करता हूँ। (सर्वकर्मफ़लत्यागं)

10. प्राणियो के साथ द्वेष नहीं करता हूँ। (अद्वेष्टा सर्वभूतानां)

11. दयाभाव वाला हूँ। (करुण एव च)

12. अहंकार रहित रहता हूँ। (निरहंकारः)

13. सतुष्ट हूँ। (संतुष्टः)

14. दृढनिश्चयी हूँ। (दृढनिश्चयः)

15. संसार से उद्वेग नहीं करता हूँ। (लोकान्नोद्विजते)

16. अपेक्षा से रहित हूँ। (अनपेक्षः)

17. शुभ और अशुभ दोनों का त्याग करता हूँ। (शुभाशुभपरित्यागी)

18. निन्दा और स्तुति दोनों को समान मानता हूँ। (तुल्यनिन्दास्तुतिः)

19. मौन रहता हूँ। (मौनी)

20. स्थिर मति वाला हूँ। (स्थिरमति)