Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge | वैदिक प्रश्नावली – सामाजिक गतिशीलता के सन्दर्भ में वैदिक प्रश्नावली – सामाजिक गतिशीलता के सन्दर्भ में | Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
(An undertaking of Angiras Clan), Chandigarh

अनुप्रयुक्त संस्कृत- शास्त्रीय ज्ञान संस्थान
(आंगिरस कुल का उपक्रम), चण्डीगढ़

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वैदिक प्रश्नावली – सामाजिक गतिशीलता के सन्दर्भ में

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1. क्या आज का सामाजिक जीवन पारस्परिक एकता, सहयोग, सद्भाव और संगठन पर आधारित है१ ?

2. क्या प्रत्येक मनुष्य सामाजिक उन्नति का महत्वपूर्ण अंग है२?

3. क्या सामाजिकों में परस्पर मैत्री व समानता का भाव है३?

4. क्या सामाजिक नीतियाँ परस्पर एकता व संगठन को बनाने वाली है४ ?

5. क्या प्रत्येक मनुष्य दूसरे की उन्नति तथा जीवन के प्रति सौहार्द की भावना रखता है५ ?

6. क्या सामाजिक आदर्श “पारस्परिक सहयोग मानवता का प्रथम कर्त्तव्य” पर आधारित हैं६ ?

7. क्या हम इस विचारधारा “केवलाघो भवति केवलादि” (जो अकेला खाता है वह पापी है।) को विकसीत कर पायें हैं७ ?

8. क्या समाज “संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम् । देवा भागं यथापूर्वे संजानाना उपासते” के मार्ग पर अग्रसर है८ ?

9. क्या राष्ट्र में “वसुधैव कुटुम्बकम्” की विचारधारा निहित है ?

10. क्या समाज में वर्ग विशेष या समुदाय विशेष को ध्यान में रखकर कार्य किया जाता है९ ?

11. क्या समाज –यांश्च पश्यामि यांश्च न, तेषु मा सुमतिं कृधि (जानने वाले और न जानने वाले सभी प्रकार के प्राणियों के प्रति) सद्भावना रखता है१० ?

12. क्या समाज में खान-पान का समान वितरण है११ ?

13. क्या समाज की नीतियाँ व्यक्तियों को प्रसन्न और परस्पर सहयोगी बनाती है१२ ?

14. क्या समाज में छोटी-छोटी बातों पर अन्तर्कलह होता है१३ ?

15. क्या समाज संसार के समस्त प्राणियों, दिशाओं, नदियों और पर्वतों के संरक्षण व कल्याण के लिये कार्य करता है१४ ?

16. क्या समाज का उद्देश्य आनन्दमय और शान्तिमय जीवन का निर्माण करना है१५ ?