Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge | श्रीमद्भगवद्गीता के नवम् अध्याय पर आधारित भक्ति-वृत्ति /ज्ञानी-वृत्ति व्यक्तित्व परीक्षण श्रीमद्भगवद्गीता के नवम् अध्याय पर आधारित भक्ति-वृत्ति /ज्ञानी-वृत्ति व्यक्तित्व परीक्षण | Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
(An undertaking of Angiras Clan), Chandigarh

अनुप्रयुक्त संस्कृत- शास्त्रीय ज्ञान संस्थान
(आंगिरस कुल का उपक्रम), चण्डीगढ़

House no - 1605, Sector 44 B, Chandigarh. (UT). Pin- 160044

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श्रीमद्भगवद्गीता के नवम् अध्याय पर आधारित भक्ति-वृत्ति /ज्ञानी-वृत्ति व्यक्तित्व परीक्षण

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1. ज्ञान प्रत्यक्ष फ़ल वाला है। (प्रत्यक्षावगमं)

2. अनुष्ठान करने में ज्ञान सहज है। (सुसुखं)

3. ज्ञानहीन बारम्बार संसार चक्र में घुमते रहते हैं। (अश्रद्दधानाः)

4. कर्मों में उदासीन रहता हूँ। (उदासीनवत्)

5. निरासक्त को कर्म बन्धन नहीं होता। (असक्तं)

6. भूतों के महेश्वर रूप परम भाव को नहीं जानता हूँ। (अवजानन्ति)

7. मानव शरीरधारी ईश्वर का अनादर करता हूँ। (मानुषीं तनुं)

8. व्यर्थ आशाओं वाला हूँ। (मोघाशाः)

9. व्यर्थ कर्मों वाला हूँ। (मोघकर्माणः)

10. व्यर्थ ज्ञान वाला हूँ। (मोघज्ञानाः)

11. विचार से हीन हूँ। (विचेतसः)

12. आसुरी प्रकृति का आश्रय लेता हूँ। (आसुरीम्)

13. ईश्वर को अनन्य मन से भजता हूँ।

14. ईश्वर प्राप्ति हेतु यत्नशील हूँ। (यतन्तः)

15. ईश्वर के लिए दृढव्रती हूँ। (दृढव्रताः)

16. भक्ति से सदा युक्त रहता हूँ। (भक्त्या)

17. ईश्वर वंदना एवं कीर्तन करता हूँ। (कीर्तयन्तः)

18. एकत्व रूपसे ईश्वर को भजता हूँ। (एकत्वेन)

19. पृथक् रूप से ईश्वर को भजता हूँ। (पृथक्त्वेन)

20. अनेक रूपों से ईश्वर को भजता हूँ। (बहुधा)

21. देवव्रती देवताओं को प्राप्त होते हैं। (देवव्रताः)

22. पितृव्रती पितरों को प्राप्त करते है। (पितृव्रताः)

23. भूतों के पूजक भूतो को प्राप्त होते हैं। (भूतानि यान्ति)

24. ईश्वर-पूजक ईश्वर को प्राप्त होते हैं। (मद्याजिनः अपि माम्)

25. पत्र,पुष्प,फ़ल,जल को भक्ति से अर्पण करता हूँ। (भक्त्या)

26. भक्ति से अर्पित वस्तु प्रभु स्वीकार करते हैं। (भक्त्युपह्रतम्)

27. सब कुछ परमात्मा के अर्पण करता हूँ। (कुरुष्व मदार्पणम्)