Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge | श्रीमद्भगवद्गीता के षोडश अध्याय पर आधारित दैवी- वृत्ति व्यक्तित्व परीक्षण श्रीमद्भगवद्गीता के षोडश अध्याय पर आधारित दैवी- वृत्ति व्यक्तित्व परीक्षण | Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
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श्रीमद्भगवद्गीता के षोडश अध्याय पर आधारित दैवी- वृत्ति व्यक्तित्व परीक्षण

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1. किसी से डरता नहीं हूँ। (अभयं)

2. अन्तःकरण निर्मल है। (सत्त्वसंशुद्धिः)

3. सबको समान रूप से देखता हूँ। (ज्ञानयोग व्यवस्थितिः)

4. लेने से अधिक देने में खुश होता हूँ। (दानं)

5. बुरे विचारों को नष्ट कर देता हूँ। (दमः)

6. किसी फ़ल विशेष की याचना के लिए कार्य करता हूँ। (यज्ञः)

7. अपने लिए पढता हूँ। (स्वाध्यायः)

8. अत्यधिक परिश्रम करता हूँ। (तपः)

9. सबके साथ मित्रवत् रहता हूँ। (आर्जवम्)

10. किसी से लडाई नहीं करता हूँ। (अहिंसा)

11. ईमानदारी से काम करता हूँ। (सत्यम्)

12. विपरीत परिस्थिति में क्रोध नहीं करता हूँ। (अक्रोधः)

13. जीवन में किसी वस्तु की इच्छा नहीं है। (त्यागः)

14. एकान्त वास प्रिय है। (शान्तिः)

15. किसी की निन्दा नहीं करता हूँ। (अपैशुनम्)

16. सबके साथ सहानुभूति रखता हूँ। (दयाभूतेषु)

17. धन के प्रति उदासीन रहता हूँ। (अलोलुप्त्वम्)

18. सबसे स्नेह करता हूँ।(मार्दवम्)

19. किसी के सामने नहीं आना चाहता। (ह्रीः)

20. बेकार इधर-उधर नहीं जाता। (अचापलम्)

21. कष्ट देने वाले को भी क्षमा कर देता हूँ। (क्षमा)

22. प्रतिकूल परिस्थिति मे घबराता नहीं हूँ। (धृतिः)

23. मन से किसी का बूरा नहीं सोचता हूँ। (शौचम्)

24. किसी को धोखा नहीं देता हूँ। (अद्रोहः)

25. घमण्ड नहीं करता हूँ। (नातिमानिता)