Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge | श्रीमद्भगवद्गीता के पंचम अध्याय पर आधारित सुख/दुःख-वृत्ति युक्त व्यक्तित्व परीक्षण श्रीमद्भगवद्गीता के पंचम अध्याय पर आधारित सुख/दुःख-वृत्ति युक्त व्यक्तित्व परीक्षण | Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
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श्रीमद्भगवद्गीता के पंचम अध्याय पर आधारित सुख/दुःख-वृत्ति युक्त व्यक्तित्व परीक्षण

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1. द्वेष व आकांक्षा नहीं करता हूं। (यो न द्वेष्टि न कांक्षति)

2. मन और इन्द्रियों को जीत लिया है। (विजितात्मा जितेन्द्रियः)

3. तत्त्व को जानता हूँ। (तत्त्ववित्)

4. परमात्मा के अर्पित करके कर्म करता हूँ। (ब्रह्मण्याधाय)

5. आसक्ति को त्याग कर कर्म करता हूँ। (सङ्गं त्यक्त्वा)

6. ममत्व बुद्धि से रहित होकर कर्म करता हूँ। (मनसा बुद्धया)

7. आत्मशुद्धि के लिए कर्म करता हूँ।(आत्मशुद्धये)

8. कर्म फ़लत्याग से शान्ति प्राप्त होती है।(शान्तिमाप्नोति)

9. सकामी बन्धन को प्राप्त करता है। (निबध्यते)

10. अपने को वश में रखता हूँ। (वशी)

11. ब्राह्मण,गौ,हाथी,कुत्ते और चाण्डाल में समदर्शी हूँ। (समदर्शिनः)

12. अप्रिय वस्तु को पाकर उद्वेग नहीं करता हूं। (नोद्विजेत्प्राप्य चाप्रियम्)

13. विषय और इन्द्रियो के भोगों मे लिप्त रहता हूं। (ये हि संस्पर्शजा भोगा)

14. काम-क्रोध से उत्पन्न वेग को सहन कर लेता हूं। (कामक्रोधोद्भवं वेगं)

15. अन्तरात्मा में रमण करता हूं। (योऽन्तःसुखोऽन्तरात्मः)

16. अन्तर्ज्योति वाला हूं। (तथान्तर्ज्योतिरेव यः)

17. क्षय हुए पापो वाला हूं। (क्षीणकल्मषाः)

18. द्वन्द्वों से रहित हूं। (छिन्नद्वैधा)

19. सभी प्राणियों के हित में लगा हुआ हूं। (सर्वभूतहिते रताः)

20. काम-क्रोध से रहित हूं। (कामक्रोधवियुक्तानाम्)

21. यत्नशील हूं। (यतीनां)

22. संयमित चित्त वाला हूं। (यतचेतसाम्)

23. इच्छा और भय से रहित हूं। (विगतेच्छाभयं)

24. सब प्राणियों का सुह्रद् हूं। (सुह्रदं सर्वभूतानां)