Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
(An undertaking of Angiras Clan), Chandigarh

अनुप्रयुक्त संस्कृत- शास्त्रीय ज्ञान संस्थान
(आंगिरस कुल का उपक्रम), चण्डीगढ़

House no - 1605, Sector 44 B, Chandigarh. (UT). Pin- 160044

E-mail - sanskrit2010@gmail.com, Mobile - 9464558667

Collaborators in Academic Karma - Saarswatam ®, Chandigarh(UT), Darshan Yoga Sansthaan, Dalhousie(HP)

परिचर्चा सार
दिनांक 12 मई 2018, वेदव्यास संस्कृत की पुनः संस्कृत योजन के अधीन संस्कॄत विभाग द्वारा “संस्कृतज्ञ एवम् कछुआ धर्म”(हरियाणा उच्चतर शिक्षा के सन्दर्भ में)” विषय पर विद्वत्परिचर्चा का अयोजन किया गया । जिसमें विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापकों ने भाग लिया । उपरोक्त विषय पर चर्चा करते हुये कछुए के पौराणिक सन्दर्भ को अमृत मन्थन से लेकर पंचतन्त्र के दो हंसों और कछुए की कथा से होते हुये तथा समकालीन कछुए और खरगोश की प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुये संस्कृतज्ञों के व्यवहार को स्पष्ट किया गया । इस अवसर पर चन्द्रधर शर्मा गुलेरी के निबन्ध “कछुआ धर्म” के सन्दर्भ में यह भी विश्लेषित किया गया कि कछुआ कैसे अपने अंगों को प्रत्येक चुनौति के अवसर पर स्वयं को समेट लेता है, और कभी उल्टा हो जाने पर स्वयं सीधा होने में वह अक्षम होता है। ऐसी ही स्थिति संस्कॄतज्ञों की वर्तमान हरियाणा उच्चतर शिक्षा की प्रणाली में है। इस अवसर पर संस्कृतज्ञों द्वारा संस्कृत-पाठ्यक्रमों में अपेक्षित परिवर्तन न करना, संस्कृतज्ञों का केवल अपने हित साधन करना, संस्कृत को उपयोगिता पूर्ण न सिद्ध करना और वर्तमान में प्रस्तुत होने वाली चुनौतियों के समक्ष अप्रासंगिक उत्तर देना तथा नीति-निर्माण न करना आदि विषय बिन्दुओं पर विश्लेषण करने के बाद एक ज्ञापन के माध्यम से V.C, K.U.K, DGHE, Haryana, C.M., Haryana, P.M.O., India को प्रस्तुत करने का निर्णय किया गया। जिसकी एक प्रति संलग्न है।

सादर,
आशुतोष आङ्गिरस