Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
(An undertaking of Angiras Clan), Chandigarh

अनुप्रयुक्त संस्कृत- शास्त्रीय ज्ञान संस्थान
(आंगिरस कुल का उपक्रम), चण्डीगढ़

House no - 1605, Sector 44 B, Chandigarh. (UT). Pin- 160044

E-mail - sanskrit2010@gmail.com, Mobile - 9464558667

Collaborators in Academic Karma - Saarswatam ®, Chandigarh(UT), Darshan Yoga Sansthaan, Dalhousie(HP)

परिचर्चा सार

वेदव्यास संस्कृत की पुनःसंरचना योजना के अधीन आज 25अगस्त, 2018 संस्कृत विभाग एवं सनातन धर्म मानव विकास शोध एवं रिसर्च सेण्टर, सनातन धर्म कालेज, अम्बाला कैंट की ओर से “FUTURISTIC TECHNOLOGIES & HUMAN CONCERNS” – A PAURANIC , VEDANTIST & KASHMIR SHAIVITE RESPO “भविष्यकालिक यन्त्र-कलाविद्या (मयासुरी विद्या) एवम् मानवीय चिन्ताएं – पौराणिक, वेदान्तिक, काश्मीरीशैव परक प्रतिसम्वेदन” विषय पर विद्वद्परिचर्चा का आयोजन किया गया । इस परिचर्चा में डॉ. अनिल जैन, मुख्य वक्ता, डॉ. संजय शर्मा, अध्यक्ष के रूप में तथा डॉ. जोगिन्दर सिंह, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे । कार्यक्रम में डॉ. गौरव शर्मा, डॉ. उमा शर्मा, डॉ. सरयू शर्मा, श्री बी.डी. थापर, श्री अनिल मित्तल, श्री विकास, डॉ. श्यामनाथ झा, डा. सोनिया, डॉ. दिव्या जैन, विभागाध्यक्ष, बायोटैक्नोलिजी तथा उनके विभाग के अन्य प्राध्यापकों, छात्रों ने भाग लिया । कार्यक्रम में उपस्थित छात्रोंं में प्रिंस तथा आशीष विशेष धन्यवाद के पात्र हैं। कार्यक्रम का आरम्भ संस्कृत विभाग के प्रश्नों एवं उनकी व्याख्याओं से हुआ। संस्कृत विभाग ने भविष्यकालिक यन्त्र- विद्या के साथ-साथ पौराणिक, वेदान्तिक और काश्मीरी शैव दर्शन में वर्णित यन्त्र और कला विद्याओं केे प्रति दृष्टिकोण को तार्किक रूप से प्रस्तुत किया। पौराणिक सन्दर्भ में टेक्नोलॉजी (मयासुरी यन्त्र विद्या) एक दुधारी तलवार है जिसके पर्याप्त उदाहरण देवासुरों के व्यवहार में दिखाई देता है और दूसरी ओर टेक्नोलॉजी मन सहित पांच ज्ञानेन्द्रियों की सीमाओं का प्रभावी विस्तार है जिसे पौराणिक प्रश्न नियन्त्रित करते हैं। समय, स्थान, ज्ञान, राग, रचनाधर्मिता की सीमितता का अतिक्रमण करने में टेक्नोलॉजी सहायक है- ऐसा पौराणिक मन्तव्य स्पष्ट है। तत्पश्चात् डॉ. अनिल जैन ने वर्तमान मनुष्य के जीवन को यान्त्रिक न बनाने और भविष्य में केवल यन्त्रों का दास बनकर न रह जाने के खतरों को विद्यार्थियों के साथ सांझा किया । डॉ. अनिल जैन ने Inner Engineering की बात करते हुये, भौतिक समृद्धि के साथ-साथ भीतरी रूप से समृद्ध बनने की तकनीकों का वर्णन किया । डॉ. जोगिन्दर ने छात्रों को सम्बोधित करते हुये कहा कि आज ऐसे मनुष्यों की आवश्कता है जो विवेकवान हो, जो अपने जीवन की किसी भी परिस्थिति का सामना अपनी विवेक-बुद्धि से कर सके । उन्होने कहा कि हम तकनीक का प्रयोग अपने समय को बचाने में और उस समय का सही दिशा में प्रयोग करने में लगाये ताकि एक स्वस्थ और कुशल जीवन जीया जा सके । कार्यक्रम में YMCA विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. संजय शर्मा ने छात्रों को विज्ञान और तकनीक क्षेत्र के सूक्ष्म ज्ञान से परिचय करवाते हुये भविष्यकालिक सम्भावनाओं के अपार भण्डार को चित्रित किया । उन्होनें मानव चिन्ताओं और मानव जीवन के मूल को विज्ञान के माध्यम से छात्रों को स्पष्ट किया । जिसे छात्रों ने बहुत उत्सुकता से ग्रहण किया और भविष्य में इसी तरह की नवीन और महत्वपूर्ण ज्ञान अनुभवों को पुनः बाँटने के संकल्प के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ ।
पौराणिक प्रश्न-मीमांसा पर शीघ्र ही परिचर्चा आयोजन करने का भी निश्चय किया गया।
सादर
आशुतोष आंगिरस