Institute of Applied Sanskrit- Shaastriya Knowledge
(An undertaking of Angiras Clan), Chandigarh

अनुप्रयुक्त संस्कृत- शास्त्रीय ज्ञान संस्थान
(आंगिरस कुल का उपक्रम), चण्डीगढ़

House no - 1605, Sector 44 B, Chandigarh. (UT). Pin- 160044

E-mail - sanskrit2010@gmail.com, Mobile - 9464558667

Collaborators in Academic Karma - Saarswatam ®, Chandigarh(UT), Darshan Yoga Sansthaan, Dalhousie(HP)

परिचर्चा सार
१ मई, २०१८
वेदव्यास संस्कृत की पुनः संरचना योजना के अधीन आज संस्कृत, इकनोमिक्स, इतिहास, हिन्दी विभाग एव सनातन धर्म मानव विकास शोध एवम् प्रशिक्षण केन्द्र के द्वारा *नारद जयन्ती के उपलक्ष्य में तथा श्रमिक दिवस के अवसर पर एक विद्वद्परिचर्चा का आयोजन किया गया । जिसमें देवर्षि नारद के व्यक्तित्व का परिचय पर चर्चा करते हुये डॉ. गौरव शर्मा ने कहा कि महाभारत के सभापर्व के पांचवें अध्याय में नारद जी के व्यक्तित्व के विषय पर प्रकाश डाला गया है कि देवर्षि नारद वेद और उपनिषदों के मर्मज्ञ, देवताओं के पूज्य, इतिहास-पुराणों के विशेषज्ञ आदि गुणों से युक्त, क‌र्त्तव्य-अक‌र्त्तव्य में भेद करने में दक्ष, सबके हितकारी और सर्वत्र गति वाले हैं। विद्वद्परिचर्चा में यह भी स्पष्ट हुआ कि देवर्षि नारद भगवान् के पार्षद् है। नारद मुनि को देवर्षि कहा गया है। विभिन्न धर्मग्रन्थों में इनका उल्लेख आता है तथा वायुपुराण में देवर्षि के पद किसको प्राप्त होता है, कौन इसका अधिकारी है? तथा किनको देवर्षि पद प्राप्त हुआ है, इस विषय पर चर्चा की गई । तदुपरान्त श्रम-दिवस पर चर्चा की गई । विद्वद्चर्चा में डॉ. श्यामनाथ झा, डॉ. विजय शर्मा, डॉ. जयप्रकाश, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. अनिल कुमार, श्री अनिल मित्तल, डा. गीतू, डा. सुरेश देसवाल, श्री बी डी थापर एवम् संस्कृत के छात्रों ने भाग लिया। चर्चा में औद्योगिक एवं कृषि श्रमिकों और उनके शोषण के संदर्भ को स्पष्ट करने के पश्चात श्रम को कर्म की दृष्टि से सफल स्थापना ककी गई। भारतीय पक्ष में कर्म श्रम को समाहित करके नैतिक आधार और व्यावहारिक व्यवस्था प्रदान करता है। चर्चा में श्रमिकों के ऐतिहासिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक शोषण पर भी तर्क वितर्क हुए।
सादर??